चलती ट्रेन में बिहारियों को मारने की थी साजिश:पाकिस्तान में बैठा था मास्टरमाइंड, कागज जलता, 2 केमिकल मिलते और होता बड़ा ब्लास्ट
17 जून 2021 की दोपहर: दरभंगा स्टेशन पर सबकुछ सामान्य था। हर दिन की तरह ट्रेनें अपने निर्धारित गति से तय समय पर चल रही थीं। कुछ यात्री ट्रेन से उतर रहे थे तो कुछ दरभंगा से खुलने वाली ट्रेन में बैठ रहे थे। सिकंदराबाद- हैदराबाद एक्सप्रेस अपने तय समय दोपहर 1.30 बजे दरभंगा स्टेशन पर आकर लगी। ट्रेन से सभी यात्री उतर चुके थे। पार्सल उतारने का काम चल रहा था। इसी बीच लगभग 3 बजे ट्रेन से निकल रहे कपड़ों के एक पार्सल में धमाका हो गया। धमाके की आवाज से स्टेशन पर भगदड़ मच गई, लेकिन बहुत थोड़ी देर बाद सबकुछ सामान्य हो गया। इसमें कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन कभी आतंकियों के आरामगाह रहे दरभंगा में हुए इस धमाके ने देश की सभी एजेंसियों की नींद उड़ा दी थी। दैनिक भास्कर की इस स्पेशल सीरीज के पार्ट-3 में पढ़िए, दरभंगा ब्लास्ट की कहानी। कैसे एक ब्लास्ट का तार दरभंगा से निकलकर पाकिस्तान तक पहुंचा। कैसे पाकिस्तान से प्लानिंग हुई और बिहार में इसे अंजाम दिया गया। सबसे पहले प्रत्यक्षदर्शी से कहानी जानिए... इस घटना को कवर करने वाले सीनियर जर्नलिस्ट सुभाष शर्मा बताते हैं, धमाके की सूचना मिलते ही हम भागते हुए स्टेशन पहुंचे। हमारे सामने पार्सल के अंदर से 50 एमएल की शीशी निकाली गई थी। ये किसी मोहम्मद सुफियान के नाम से बुक था। उसमें कुछ केमिकल रखा गया था। बताया गया कि ये एक विस्फोटक है जो दूसरे सॉल्यूशन के साथ मिलने के बाद खतरनाक बन जाता।’ ‘शुरुआत में हम लोग इसे सामान्य घटना मान कर चल रहे थे, लेकिन इसके बाद अगले 15 दिनों तक यहां देशभर की सभी बड़ी एजेंसियां कैंप करती रहीं। बिहार पुलिस के IG, DIG रैंक के अधिकारी से लेकर ATS, NIA, IB सभी यहां की खाक छानते रहे। एक-एक कड़ी को जोड़ते गए। जांच में पता चला कि ये धमाका पाकिस्तान की साजिश थी।’ ट्रेन में सोते लोगों की जान लेना चाहते थे आतंकी NIA जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि अगर आतंकियों की प्लानिंग सफल होती तो बड़ी संख्या में बिहार के लोगों की जान जा सकती थी। आतंकियों ने धमाके की टाइमिंग सिकंदराबाद स्टेशन से 132 KM दूर काजीपेट जंक्शन को चुना था। दरअसल, सिकंदराबाद से दरभंगा के बीच चलने वाली सिकंदराबाद-दरभंगा एक्सप्रेस (07007) डाउन स्पेशल ट्रेन 15 जून की रात 10 बजकर 40 मिनट पर दरभंगा के लिए रवाना हुई थी। इस ट्रेन को 16 जून की रात 12.38 बजे काजीपेट स्टेशन पहुंचना था। उस वक्त ट्रेन में लोग सो रहे होते। इसलिए इसी समय को धमाके के लिए चुना गया था। धमाके के कारण चलती ट्रेन में आग लगती और फिर उस वक्त सो रहे पैसेंजर्स को समझने में समय लगता और ज्यादा लोग इसकी चपेट में आते। वहां से 1781 KM दूर दरभंगा में ब्लास्ट हुआ। सूत्रों की मानें तो उत्तर प्रदेश के शामली से पकड़े गए मो. सलीम और टेलर कफील ने पूछताछ में ये बात बताई है। एसिड के रिएक्शन में देरी से बची थी दरभंगा एक्सप्रेस चारों आतंकियों से पूछताछ में पता चला है, जिस लिक्विड से धमाका हुआ उसमें नाइट्रिक और सल्फ्यूरिक एसिड को रखा गया था। इन दोनों एसिड के बीच में कागज की एक मोटी परत दी गई थी। मोटी परत वाला कागज समय पर जल जाता और दोनों केमिकल एक-दूसरे से मिल जाते और ब्लास्ट प्लानिंग के मुताबिक होता, लेकिन दोनों समय पर नहीं मिल पाया और रिएक्शन नहीं हो पाया। बिहार- UP की चलती ट्रेन में ब्लास्ट की प्लानिंग बना रहा था ISI धमाके के बाद इसकी जांच में रेल पुलिस को एक बेहद ही खतरनाक इनपुट मिला था। इसके मुताबिक,’ तब पाकिस्तान में बैठकर ISI भारत में बड़ी आतंकी वारदात को अंजाम देने की कोशिशों में लगा था। ISI के निशाने पर बिहार और उत्तर प्रदेश जाने वाली ट्रेनें हैं। जिनमें मजदूरों की संख्या बहुत अधिक होती है। इन ट्रेनों में टाइमर के जरिए बम लगाने और चलती ट्रेन में उसे ब्लास्ट करने की है। ताकि जानमाल का नुकसान अधिक से अधिक हो। इस संबंध में तब रेलवे की तरफ से एक डिपार्टमेंटल लेटर जारी कर एहतियात बरतने की भी हिदायत दी गई थी। लेटर में लिखा था- पाकिस्तान के ISI ऑपरेटिव ने पंजाब में अपने स्लीपर सेल को टाइमर के साथ एक बम देने की पेशकश की है। निर्देश दिया है कि तारों को जोड़ों और ट्रेन में उस बम को लगाओ। इसे उस ट्रेन में लगाओ जिसमें बिहार और उत्तर प्रदेश के मजदूर आते-जाते हैं। पाकिस्तान से इकबाल काना ने रची ब्लास्ट की साजिश NIA ने अपनी चार्जशीट में लिखा है कि पाकिस्तान के लाहौर में बैठे आतंकी और ISI के हैंडलर इकबाल मोहम्मद उर्फ मो. इकबाल उर्फ हाफिज इकबाल उर्फ इकबाल काना इस पूरे ब्लास्ट का मास्टरमाइंड है। इकबाल काना मूल रूप से उत्तर प्रदेश के शामली का रहने वाला है। लंबे समय से उसने पाकिस्तान को अपना ठिकाना बना रखा है। NIA की पूछताछ में ये बात सामने आई है कि इनकी प्लानिंग ट्रेन के पार्सल कोच में कपड़ों के बंडल के बीच IED ब्लास्ट कर आम और निर्दोष लोगों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाना था। आतंकवादी घटना को अंजाम देने के बाद गिरफ्तार आरोपियों की प्लानिंग नेपाल के रास्ते विदेश भागने की थी। मगर, उसके पहले ही इनकी गिरफ्तारी हो गई। एक नंबर से मुख्य आरोपी तक पहुंची NIA और ATS आतंकवादियों से जो सबसे बड़ी गलती हुई थी, वो थी पार्सल की बुकिंग और रिसीविंग में एक ही नाम और नंबर लिखना। वो नाम था मो. सुफियान। ब्लास्ट के बाद जब बिहार रेल पुलिस और तेलंगाना ATS की टीम ने अपनी जांच शुरू की थी तो उस मोबाइल नंबर को खंगाला था। जांच के दौरान नंबर की लोकेशन उत्तर प्रदेश में मिली। इसके बाद उत्तर प्रदेश ATS की मदद ली गई। टावर लोकेशन के आधार शामली में छापेमारी कर टेलर का काम करने वाले कासीम उर्फ कफील को कब्जे में लिया गया। कफील की निशानदेही पर सलीम उर्फ टुइंया का नाम सामने आया। कफील और सलीम ने ही हैदराबाद में रह रहे इमरान और नासीर के बारे में बताया था। तब जाकर उन दोनों भाइयों को गिरफ्तार किया गया। ब्लास्ट से पहले पाकिस्तान गए थे इमरान और नासिर हैदराबाद से जिन दो भाइयों मो. इमरान मलिक और मो. नासिर मलिक को NIA की टीम ने गिरफ्तार किया था, वो पाकिस्तान में बैठे आतंकी इकबाल काना का रिश्तेदार है। सूत्रों के अनुसार इकबाल काना इनका मौसेरा भाई है। इसके साथ गिरफ्तार दोनों भाइयों का आपसी कनेक्शन भी जबरदस्त है। कई बार इनकी आपस में बातचीत हुई है। 2012 से लेकर दरभंगा ब्लास्ट से पहले तक में नासीर कुल तीन बार पाकिस्तान जा चुका है। वहां वो लगातार अपने मौसेरे भाई और आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा के हैंडलर इकबाल काना के साथ रह चुका है। NIA कोर्ट में चल रही सुनवाई, इकबाल काना वांटेड NIA ने अपनी चार्जशीट में 5 लोगों को इस ब्लास्ट का आरोपी बनाया है। इनमें आतंकी इकबाल काना के अलावा मो. नासिर खान उर्फ नासिर मलिक, इमरान मलिक, सलीम अहमद उर्फ हाजी सलीम और कफील अहमद उर्फ कफील शामिल हैं। ये चारों मूल रूप से उत्तर प्रदेश के शामली के ही रहने वाले हैं। इनमें नासीर और इमरान, पिछले कई सालों से तेलंगाना में रह रहे थे। केस का ट्रायल फिलहाल NIA की स्पेशल कोर्ट में चल रहा है। अभी गवाही हो रही है। इकबाल काना इस केस में भगोड़ा घोषित कर दिया गया है। -------------- ये भी पढ़ें... 20 मिनट, 9 धमाके और दहल गया था ‘गया’: साधु के वेश में महाबोधि मंदिर में घुसे थे आतंकी; एक बाल से मास्टरमाइंड तक पहुंची NIA तारीख- 7 जुलाई 2013। समय- सुबह 5.40 से 6 बजे के बीच। हर दिन की तरह उस रोज भी बोध गया के मुख्य मंदिर का पट खुला था। बौद्ध भिक्षु पूजा करने के लिए पहुंचने लगे थे। तभी महाबोधि मंदिर और उसके आसपास के इलाके में अचानक एक के बाद एक धमाके होने लगे। करीब 20 से भी कम समय में 9 बम विस्फोट हुए। सुबह-सुबह हुए इन धमाकों की गूंज बिहार से लेकर विदेश तक पहुंची। पूरी खबर पढ़िए
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