रोहतक के हिंदू परिवार की दास्तां:पाकिस्तान में कलमा पढ़वाया, नमाज नहीं पढ़ी तो कांटेदार डंडे से पीटा, भाई का नाम लक्ष्मण, टीचर ने लश्कर लिखा

Apr 30, 2025 - 05:30
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रोहतक के हिंदू परिवार की दास्तां:पाकिस्तान में कलमा पढ़वाया, नमाज नहीं पढ़ी तो कांटेदार डंडे से पीटा, भाई का नाम लक्ष्मण, टीचर ने लश्कर लिखा
हरियाणा के रोहतक में 20 साल से रह रहे हंस दास को अब पाकिस्तान भेजे जाने का डर सता रहा है। उनका कहना है कि वह पाकिस्तान में भारी प्रताड़ित और जलील होने के बाद परिवार के साथ भारत आए थे। अब यहां की नागरिकता भी मिल गई है, लेकिन जिन्हें नागरिकता नहीं मिली है, उन्हें उस नर्क में दोबारा धकेला जा सकता है। हंस दास ने बताया है कि उनके साथ बहुत अत्याचार होते थे। स्कूल में जमीन पर बैठाते, कलमा पढ़वाते, मुस्लिम बनने का दबाव डालते थे। नमाज पढ़ने नहीं आई तो कांटेदार डंडे से पीटा। टीचर हिंदू नाम नहीं लेना चाहता था, इसलिए लक्ष्मण की जगह उसने लश्कर नाम लिख दिया। उन्होंने कहा - मैं हिंदुओं से प्रार्थना करना चाहता हूं कि एकता बनाए रखो। जो लोग पहलगाम तक घुसकर हिंदुओं के खिलाफ आतंक फैला सकते हैं, इसी से अंदाजा लगाओ कि वे पाकिस्तान में रह रहे हिंदुओं के साथ क्या करते होंगे। हंस दास ने पाकिस्तान को लेकर ये बातें बताईं... 10 परिवारों के 100 लोग भारत आए हंस राज ने बताया है कि 2005 में 10 परिवारों के 100 सदस्य भारत आए थे। इनमें से 5 परिवार रतिया फतेहाबाद, 4 काहनौर व एक मदीना में आ गया। 2019 में जब CAA कानून आया, जिसमें उन्हें भारत की नागरिकता मिल गई। काहनौर में 10 लोगों को नागरिकता मिल चुकी है। फतेहाबाद में 33 में से 6 को मिली, बाकी को जल्दी मिल जाएगी। ऐलनाबाद में 450 में से 150 को नागरिकता मिल चुकी है। हमारे पास अब सारे दस्तावेज हैं। पंचर की दुकान लगाकर गुजारा कर रहे उन्होंने कहा कि जब परिवार भारत आए थे तो 45 दिन का वीजा लेकर आए थे। उसके बाद वीजा के दिन बढ़वाते गए। हमें नियम पता था कि 12 साल रहने के बाद ही भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके तहत हमने आवेदन किया और हमें नागरिकता मिल गई थी। अब यहां दिहाड़ी मजदूरी और पंचर की दुकान चलाकर अपना गुजारा कर रहे हैं। भारत स्वर्ग लग रहा, लेकिन भय भी है हंस दास बताते हैं कि पाकिस्तान से यहां आए तो अब यह जगह हमें स्वर्ग लगती है। अब तक किसी तरह की कोई परेशानी भी नहीं हुई है। हालांकि, पहलगाम हमले के बाद मन में भय जरूर है कि कहीं सरकार कोई ऐसा कदम न उठाए जिससे प्रताड़ना झेलकर आए हिंदुओं को फिर से नर्क में शरण लेनी पड़े। उन्होंने कहा कि जब 1947 में मारकाट हुई थी, तब मेरे दादा 4 भाई थे। उनमें से दो भारत आ गए और 2 पाकिस्तान में ही रह गए। हालांकि, चिट्ठी और फोन के जरिए बात होती रहीं। यहां आने के बाद उनकी शादियां यहीं पर हुईं। वे भारतीय नागरिक हैं। मेरी भी शादी यहीं हुई है। मेरे 5 बच्चे हैं। मेरे भाई और बहन की शादी भी यहीं पर हुई है। ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ यह खबर भी पढ़ें... हरियाणा में आइसक्रीम बेच रहे पाकिस्तान के पूर्व सांसद:टूरिस्ट वीजा पर भारत आए, पाकिस्तानियों को देश छोड़ने के आदेश के बाद सुर्खियों में पाकिस्तान में बेनजीर भुट्टो की सरकार में सांसद रहे दिवाया राम हरियाणा के फतेहाबाद में आइसक्रीम बेच रहे हैं। हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार से परेशान होकर उनका परिवार 25 साल पहले टूरिस्ट वीजा पर पाकिस्तान से भारत आया था। पूरी खबर पढ़ें...

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