पराली जलाने से मिट्टी और सेहत को नुकसान:जीविका दीदियां किसानों को कर रहीं जागरूक, विशेषज्ञों से ले रहीं प्रशिक्षण
एकमा में सरकार ने पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए नई पहल शुरू की है। अब जीविका दीदियां गांव-गांव जाकर किसानों को जागरूक कर रही हैं कि वे पराली न जलाएं और मिट्टी व पर्यावरण को नुकसान से बचाएं। एकमा जीविका परियोजना के प्रखंड परियोजना प्रबंधक विजय कुमार ने बताया कि दीदियों को विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण दिया गया है, जिसमें वीडियो माध्यम से पराली के नुकसान और उसके वैकल्पिक उपयोग की जानकारी दी जाती है। पराली जलाने से फेफड़े तक खराब हो रहे: डॉक्टर साजन कुमार एकमा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. साजन कुमार ने बताया कि पराली जलाने से वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ता है, जिससे एलर्जी, अस्थमा, ब्लड कैंसर और फेफड़े के कैंसर जैसे रोग सामने आ रहे हैं। आम लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने में परेशानी की शिकायत हो रही है। खेती को भी नुकसान, पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, पराली जलाने से खेत की मिट्टी में मौजूद आवश्यक पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। इससे उन्नत खेती पर सीधा असर पड़ता है और फसल उत्पादन घटता है। सरकार ने इस दिशा में छोटे किसानों, खासकर 10 कट्ठा तक जमीन वाले परिवारों को तकनीकी सहायता देने की व्यवस्था की है। इस पहल से किसानों को पराली प्रबंधन के आधुनिक विकल्प अपनाने में मदद मिल रही है।
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