सीएम बोले-नेहरू ने मजबूरी में दी थी संविधान की जिम्मेदारी:इंदौर में वसुंधरा ने कहा-बाबा साहेब हम सबके नेता; विजयवर्गीय बोले-उन्हें नहीं मिला विश्व स्तरीय सम्मान
संविधान सभा के अध्यक्ष पद के लिए जब सभी ने अंबेडकर जी का नाम तय कर लिया था, तब भी नेहरू ने उस प्रस्ताव को बार-बार टालने की कोशिश की। आखिरकार जब डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने हस्तक्षेप कर कहा कि इनसे अच्छा कोई नाम नहीं हो सकता। तब जाकर नेहरू ने मजबूरी में अंबेडकर को यह जिम्मेदारी सौंपी। ये बातें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को इंदौर में कहीं। वे भाजपा के डॉ. भीमराव अंबेडकर सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि नेहरू बाबा साहेब के संघर्षों और लोकप्रियता से घबराए हुए थे। उन्होंने कहा, जिन्होंने संविधान बनाया जब वह चुनाव लड़ने जाते थे, तो नेहरू पूरी ताकत से उन्हें रोकते है और उन्हें हराते। कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, तुलसी सिलावट, महापौर पुष्य मित्र भार्गव, विधायक रमेश मेंदोला, राज्यसभा सांसद कविता पाटीदार, इंदौर संभाग प्रभारी राघवेंद्र गौतम समेत अन्य जनप्रतिनिधि भी मौजूद रहे। वसुंधरा बोलीं- बाबा साहेब हम सबके नेता थे पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने कहा कि किसी इंसान की असली पहचान तब होती है जब वह कुछ अलग करता है। जब कोई व्यक्ति कुछ अलग करता है, तो सबसे पहले उसी पर उंगलियां उठाई जाती हैं, चाहे वह कितना भी पढ़ा-लिखा क्यों न हो। बाबा साहेब सिर्फ दलितों के ही नहीं, बल्कि हम सभी के नेता थे। बाबा साहेब ने कहा था कि पढ़ाई बेहद जरूरी है। आज के समय में अगर आप सोचते हैं कि बिना पढ़े-लिखे ही आगे बढ़ सकते हैं, तो यह संभव नहीं है। आज का दौर तकनीक का है। भले ही उस समय टेक्नोलॉजी नहीं थी, लेकिन तब भी उन्होंने यह बात कही थी- 'पढ़ोगे-लिखोगे तभी आगे बढ़ोगे, नहीं तो पीछे रह जाओगे।' वसुंधरा राजे ने कहा- बाबा साहेब को कांग्रेस ने कभी वह सम्मान नहीं दिया जिसके वे हकदार थे। उन्हें एक वर्ग विशेष का नेता बताकर दरकिनार किया गया, जबकि उन्होंने पूरे देश के लिए संविधान बनाया। उन्होंने जोर देकर कहा कि संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन है। अगर आप संविधान को पढ़ें, तो आपको अपने अधिकार और कर्तव्यों की गहराई समझ आएगी। बाबा साहेब ने कभी किसी से पद की मांग नहीं की वसुंधरा राजे ने कहा कि जो व्यक्ति सच्चाई से बोलता है, वही सबसे ज्यादा आलोचना का शिकार होता है। यही बाबा साहेब के जीवन की सबसे बड़ी सच्चाई भी रही। वसुंधरा राजे ने कहा कि बाबा साहेब जिस सम्मान के हकदार थे, वह सम्मान कांग्रेस ने उनको कभी नहीं दिया। उन्हें एक वर्ग विशेष का नेता बताकर दरकिनार किया गया। जबकि उन्होंने पूरे देश के लिए संविधान बनाया। संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन है। अगर आप संविधान को पढ़ें तो आपको अपने अधिकार और कर्तव्यों की गहराई समझ आएगी। वसुंधरा राजे ने कहा- राजनीति सेवा का माध्यम है, पद की भूख नहीं। बाबा साहेब ने कभी किसी से पद की मांग नहीं की। उन्होंने अपने संघर्ष और योग्यता से खुद को सिद्ध किया कहा- क्या भगवान किसी जाति के लिए होते हैं?
वसुंधरा राजे ने कहा कि क्या भगवान किसी एक जाति या वर्ग के लिए होते हैं? नहीं। भगवान हम सभी के होते हैं। बाबा साहेब ने यह बात सामाजिक भेदभाव पर प्रहार करते हुए कही थी और बाबा साहेब के मंदिर प्रवेश आंदोलन की याद दिलाई। कांग्रेस ने बाबा साहेब को हराने की कोशिश की
वसुंधरा राजे ने खुलासा किया कि 1952 और 1954 के चुनावों में कांग्रेस ने बाबा साहेब को हराने की हरसंभव कोशिश की, लेकिन वह अपने विचारों और सच्चाई के बल पर हर बार मजबूती से खड़े रहे। उन्होंने कैबिनेट से इस्तीफा इसलिए दिया क्योंकि वहां गरीबों की बात नहीं सुनी जा रही थी विजयवर्गीय बोले-एक परिवार ने देश की उपलब्धियों का श्रेय लिया मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा- नेल्सन मंडेला ने अश्वेत नस्लवाद को खत्म करने के लिए लगातार संघर्ष किया। यदि मैं संख्यात्मक रूप से देखूं को उन्होंने 2 करोड़ अफ्रीकन लोगों की लड़ाई लड़ी। मार्टिन लूथर किंग की बात करूं तो वे भी विश्व स्तर के नेता थे। उन्हें भी दास प्रथा समाप्त करने के विश्व स्तरीय सम्मान मिला। अधिकतम कहें तो उन्हें 1 करोड़ गुलामों को मुक्ति दिलाई। जब हम बाबा साहेब की बात करते हैं तो उन्होंने दलित और पिछड़े को अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष किया। इसके बाद संविधान ने उन्हें आरक्षण दिया। आज की स्थिति में उनकी संख्या 80 करोड़ से ज्यादा है। क्या आपने कभी सोचा है कि जिन्होंने 2 करोड़, 3 करोड़ लोगों के लिए संघर्ष किया उनको विश्वव्यापी सम्मान मिला। लेकिन, वैसा आदर-सम्मान डॉ. अंबेडकर को क्यों नहीं मिला? क्योंकि स्वतंत्रता के बाद जिन लोगों ने देश की बागडोर संभाली थी, वे सिर्फ अपने और अपने परिवार के लिए पूरी दुनिया में भारत की स्वतंत्रता का श्रेय लेते रहे। इंदौर के राजवाड़ा में होगी कैबिनेट बैठक मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इंदौर में बताया कि महारानी अहिल्या माता के 300वें जन्म जयंती वर्ष का समापन 20 मई को हो रहा है। यह सुखद संयोग है कि 20 मई को ही उनकी विवाह वर्षगांठ भी होती है, और होलकर साम्राज्य की शुरुआत करने वाले श्रद्धेय मल्हार राव जी होलकर की पुण्यतिथि भी 20 मई को ही है। इस संदर्भ में 20 मई की कैबिनेट की बैठक इंदौर में होगी।
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