श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह मामले में अब 23 मई को सुनवाई:मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किए जाने की मांग का मुस्लिम पक्ष ने किया विरोध
इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की अदालत में मंगलवार को श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद मामले आज सुनवाई हुई। एक घंटे से भी अधिक देर तक चली सुनवाई के दौरान मंदिर के पक्ष कार महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने मुस्लिम पक्ष की और से दाखिल की गई आपत्तियों का जवाब देते पुन: मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किए जाने की मांग की। उन्होंने शपथ पत्र के साथ ही प्रत्युत्तर दाखिल कर दिया। कोर्ट ने अब अगली सुनवाई के लिए 23 मई की तारीख निर्धारित की है। मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किए जाने की मांग का मुस्लिम पक्ष ने किया विरोध हिंदू पक्षकार एवं श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने कोर्ट की कार्रवाई की जानकारी देते हुए बताया कि पूर्व में कोर्ट में मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किए जाने की मांग की थी, इस पर मुस्लिम पक्ष ने अपनी आपत्ति दर्ज की। इस मुद्दे पर कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना। अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने हाईकोर्ट में शपथ पत्र के साथ प्रत्युत्तर दाखिल किया है। इसमें उन्होंने कहा है कि विवादित स्थल के लिए "विवादित संरचना" शब्द का उपयोग करना जरूरी है, ताकि अदालत के रिकॉर्ड में निष्पक्षता और तटस्थता बनी रहे। उन्होंने कहा कि अयोध्या की बाबरी मस्जिद और संभल मामले में भी मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किया गया था। महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने दावा है कि यह मस्जिद श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर अतिक्रमण करके बनाई गई थी। साथ यह भी कहा कि अपने हलफनामे में कहा है कि उन्होंने कभी भी मस्जिद होने की बात स्वीकार नहीं की है और वे लगातार इसकी धार्मिक पवित्रता और वक्फ स्थिति को चुनौती देते रहे हैं। पिछली सुनवाई में क्या हुआ था जानिए विवाद से जुड़े मामलों के स्थानांतरण प्रार्थनापत्र (ट्रांसफर एप्लिकेशन ) पर बुधवार को न्यायमूर्ति नीरज तिवारी की पीठ में सुनवाई हुई। हिंदू पक्ष की ओर से वकील रीना एन सिंह ने कोर्ट को बताया कि 12 दिसंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित स्थगन आदेश इस मामले पर लागू नहीं होता, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने केवल अंतरिम आदेशों और सर्वेक्षण से जुड़े निर्देशों पर रोक लगाई है, लेकिन किसी व्यक्ति या पक्ष के संविधानिक अधिकारों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। इसी आधार पर अधिवक्ता रीना सिंह ने मथुरा में लंबित सात श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामलों को इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की ताकि सभी मामलों की सुनवाई एक साथ हो सके । कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अगली सुनवाई की तारीख 7 अप्रैल 2025 तय की है। गौरतलब है कि कृष्ण जन्म भूमि मामले में 18 सिविल वाद पर हाईकोर्ट पहले से ही सुनवाई कर रहा है। एएसआई, भारत सरकार को पक्षकार बनाने की मांग स्वीकार हिंदू पक्ष का कहना था कि ए एस आई और भारत सरकार को पक्षकार बनाना आवश्यक है क्योंकि ढांचा ए एस आई द्वारा संरक्षित है। 1920 की अधिसूचना द्वारा इसे संरक्षित किया गया है। आगरा क्षेत्र के संरक्षित भवनों की सूची में भी शामिल है। विवाद के निस्तारण में दोनों को पक्षकार बनाना आवश्यक है। मुस्लिम पक्ष ने संशोधन का विरोध किया। कहा गया कि विवाद मंदिर और मस्जिद कमेटी के बीच का है। ए एस आई और केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि ए एस आई और केंद्र सरकार को पक्षकार बनाने से विवाद में किसी प्रकार का फर्क नहीं पड़ेगा। कोई नई प्रार्थना या राहत की मांग नहीं की गई है। अर्जी हर्जाने के साथ स्वीकार होने योग्य है। वहीं जन्म भूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष ने हाईकोर्ट से अयोध्या की तरह ही शाही ईदगाह मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने की मांग की है। इस पर मुस्लिम पक्ष ने अपनी आपत्ति व्यक्त की है । इस मामले में तीन अप्रैल को सुनवाई होगी। श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष और श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद के हिन्दू पक्षकार महेंद्र प्रताप ने कोर्ट के समक्ष श्री कृष्ण जन्मभूमि के मूल गर्भ गृह को तोड़कर वहां पर बनाई गई मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किए जाने की मांग रखी और कहा कि इससे पहले अयोध्या में भी बाबरी मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किया गया था। अन्य मामलों को भी विवादित ढांचा घोषित किया जा चुका है । ठीक उसी तरह मथुरा स्थित शाही ईदगाह मस्जिद को भी विवादित ढांचा घोषित किया जाए इस पर मुस्लिम पक्ष ने अपनी आपत्ति व्यक्त की। महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने भगवान श्री कृष्ण के मूल गर्भ गृह पर बने मंदिर को तोड़ कर मस्जिद का निर्माण करवाया था। उन्होंने बताया कि जिस स्थान पर मस्जिद बनी हुई है वह भूमि करीब दो एकड़ से अधिक है। हिंदू पक्ष उसी भूमि की मांग कोर्ट से कर रहा है। जिस पर वर्तमान में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है। विभिन्न लंबित प्रार्थना पत्रों पर भी कोर्ट में सुनवाई हुई । मथुरा की अदालत में लंबित श्री कृष्ण जन्म भूमि से जुड़े अन्य विवादों की भी सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में करने की मांग की गई है। विवाद से जुड़े मामलों की ट्रांसफर एप्लिकेशन पर न्यायमूर्ति नीरज तिवारी की पीठ में सुनवाई हुई। हिंदू पक्ष की ओर से अधिवक्ता रीना एन सिंह ने कोर्ट को बताया कि 12 दिसंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित स्थगन आदेश इस मामले पर लागू नहीं होता, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने केवल अंतरिम आदेशों और सर्वेक्षण से जुड़े निर्देशों पर रोक लगाई है, लेकिन किसी व्यक्ति या पक्ष के संविधानिक अधिकारों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। इसी आधार पर अधिवक्ता रीना सिंह ने मथुरा में लंबित सात श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामलों को इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की ताकि सभी मामलों की सुनवाई एक साथ हो सके। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अगली सुनवाई की तारीख 7 अप्रैल 2025 तय की है। बता दें कि कृष्ण जन्मभूमि मामले में 18 सिविल वाद पर हाईकोर्ट पहले से ही सुनवाई कर रहा है। एएसआई और भारत सरकार को पक्षकार बनाने की मांग स्वीकारश्रीकृष्ण जन्मभूमि- विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ए एस आई और केंद्र सरकार को पक्षकार बनाने की हिन्दू पक्ष की संशोधन अर्जी स्वीकार कर ली है। कोर्ट ने हिंदू पक्ष पर पांच हज़ार रुपए हर्जाना भी लगाया है। हर्जाने की राशि प्रथम विपक्षी मस्जिद कमेटी को देनी होगी। हिंदू पक्ष का कहना था कि ए एस आई और भारत सरकार को पक्षकार बनाना आवश्यक है क्योंकि ढांचा ए एस आई द्वारा संरक्षित है। 1920 की अधिसूचना द्वारा इसे संरक्षित किया गया है। आगरा क्षेत्र के संरक्षित भवनों की सूची में भी शामिल है। विवाद के निस्तारण में दोनों को पक्षकार बनाना आवश्यक है। मुस्लिम पक्ष ने संशोधन का विरोध किया। कहा गया कि विवाद मंदिर और मस्जिद कमेटी के बीच का है।ए एस आई और केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि ए एस आई और केंद्र सरकार को पक्षकार बनाने से विवाद में किसी प्रकार का फर्क नहीं पड़ेगा। कोई नई प्रार्थना या राहत की मांग नहीं की गई है। अर्जी हर्जाने के साथ स्वीकार होने योग्य है। वहीं जन्म भूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष ने हाईकोर्ट से अयोध्या की तरह ही शाही ईदगाह मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने की मांग की है। इस पर मुस्लिम पक्ष ने अपनी आपत्ति व्यक्त की है । इस मामले में तीन अप्रैल को सुनवाई होगी। श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष और श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद के हिन्दू पक्षकार महेंद्र प्रताप ने कोर्ट के समक्ष श्री कृष्ण जन्मभूमि के मूल गर्भ गृह को तोड़कर वहां पर बनाई गई मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किए जाने की मांग रखी और कहा कि इससे पहले अयोध्या में भी बाबरी मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किया गया था। अन्य मामलों को भी विवादित ढांचा घोषित किया जा चुका है ।ठीक उसी तरह मथुरा स्थित शाही ईदगाह मस्जिद को भी विवादित ढांचा घोषित किया जाए इस पर मुस्लिम पक्ष ने अपनी आपत्ति व्यक्त की। महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने भगवान श्री कृष्ण के मूल गर्भ गृह पर बने मंदिर को तोड़ कर मस्जिद का निर्माण करवाया था।
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