12वीं के बाद छात्र किसी भी संकाय से कर सकते हैं ग्रेजुएशन, नियम में हुआ बदलाव
यूजीसी ने स्नातक और परा-स्नातक में नामांकन को लेकर बड़ा बदलाव किया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत तैयार यूजीसी रेगुलेशन 2025 की अधिसूचना जारी कर दी गई है। यह नियम देशभर के सभी विश्वविद्यालयों में अनिवार्य रूप से लागू हो गया है। इसके तहत अब छात्रों को साल में दो बार दाखिले का मौका मिलेगा। पहली बार जुलाई-अगस्त और दूसरी बार जनवरी-फरवरी में दाखिला होगा। अब छात्र 12वीं के बाद किसी भी संकाय में दाखिला ले सकेंगे। कला, विज्ञान या कॉमर्स में स्नातक की पढ़ाई के लिए 12वीं में संबंधित विषय पास होना जरूरी नहीं रहेगा। छात्र सीयूईटी यूजी या विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में शामिल होकर मेरिट के आधार पर संकाय चुन सकेंगे। यह नियम 2026 से लागू होगा। क्योंकि 2025 के लिए सीयूईटी यूजी परीक्षा के नियम पहले से तय हैं। अब पढ़ाई के साथ स्किल बेस्ड एजुकेशन भी जरूरी होगी। छात्रों को मुख्य कोर्स से 50% क्रेडिट लेने होंगे। बाकी क्रेडिट स्किल डेवलपमेंट कोर्स, इंटर्नशिप या मल्टीडिस्पिलनरी विषयों से लिए जा सकेंगे। अगर छात्र ने 12वीं (रेगुलर या ओपन स्कूल) पास की है, तो वह अंडरग्रेजुएट या इंटीग्रेटेड यूजी-पीजी प्रोग्राम में दाखिला ले सकता है। यूजी में किसी भी स्ट्रीम में दाखिले के लिए सीयूईटी यूजी या संबंधित विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा पास करनी होगी। छात्र यूजी और पीजी में दो अलग-अलग डिग्री प्रोग्राम भी कर सकेंगे। तीन साल की यूजी डिग्री के बाद पीजी दो साल और चार साल की ऑनर्स या रिसर्च डिग्री के बाद पीजी एक साल का होगा। अब छात्रों की मार्कशीट में फेल होने पर दोबारा परीक्षा में शामिल होने की बात नहीं लिखी जाएगी। मूल्यांकन अब लिखित परीक्षा, सेमिनार, प्रेजेंटेशन, क्लास परफॉर्मेंस और फील्डवर्क के आधार पर होगा। यूजीसी ने क्रेडिट सिस्टम में भी बड़ा बदलाव किया है। हर विषय के लिए छात्रों को क्रेडिट मिलेंगे। ये क्रेडिट एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (एबीसी) में सेव होंगे। छात्र देश के किसी भी कॉलेज या विश्वविद्यालय में इन क्रेडिट्स का इस्तेमाल कर सकेंगे। छात्र एक साथ दो अलग-अलग यूजी या पीजी कोर्स कर सकेंगे। ये कोर्स अलग कॉलेजों से या अलग फॉर्मेट (ऑफलाइन, ऑनलाइन या डिस्टेंस लर्निंग) में हो सकते हैं। यूजीसी ने मल्टीपल एंट्री और एक्जिट सिस्टम लागू किया है। छात्र एक, दो, तीन या चार साल पढ़ाई के बाद कोर्स छोड़ सकते हैं। एक साल (40 क्रेडिट) पर सर्टिफिकेट, दो साल (80 क्रेडिट) पर डिप्लोमा, तीन साल (120 क्रेडिट) पर सामान्य डिग्री और चार साल (160 क्रेडिट) पर ऑनर्स या रिसर्च के साथ ऑनर्स डिग्री मिलेगी। छात्र जब चाहें, पढ़ाई फिर से वहीं से शुरू कर सकेंगे। शैक्षणिक सत्र 2025 से छात्र डिग्री पूरी करने का समय खुद तय कर सकेंगे। यह विकल्प पहले और दूसरे सेमेस्टर के प्रदर्शन के आधार पर मिलेगा। मेधावी छात्रों के लिए 10 फीसदी सीटें आरक्षित रहेंगी। दीक्षांत समारोह से पहले डिग्री मिल जाएगी। तीन साल की डिग्री छह सेमेस्टर की जगह पांच सेमेस्टर में और चार साल की डिग्री आठ सेमेस्टर की जगह छह या सात सेमेस्टर में पूरी की जा सकेगी। धीमी गति से पढ़ने वाले छात्रों को तीन या चार साल की डिग्री के लिए दो अतिरिक्त सेमेस्टर मिलेंगे।
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