मोरबी ब्रिज हादसा, आरोपियों की डिस्चार्ज याचिका खारिज:जयसुख पटेल समेत 10 ने लगाई थी गुहार, हादसे में 135 लोगों की हुई थी मौत
मोरबी सेशन कोर्ट ने मोरबी ब्रिज दुर्घटना मामले में ओरेवा ग्रुप के जयसुख पटेल सहित 10 आरोपियों की डिस्चार्ज याचिका खारिज कर दी है। आरोपियों ने आरोप मुक्त करने के लिए आवेदन दायर कर तर्क दिया था कि उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304 और 308 के तहत दर्ज अपराध कोई अपराध नहीं बनता। दोनों धाराओं में क्रमशः आजीवन कारावास और 10 वर्ष कारावास की सजा का प्रावधान है। वहीं, इन पर लगी अन्य धाराएं, जिनके खिलाफ जयसुख पटेल और अन्य आरोपियों ने आरोप मुक्त करने की मांग नहीं की है, उनमें केवल 3 महीने से 6 महीने की सजा का प्रावधान है। इसलिए, आरोपियों ने आजीवन कैद या 10 साल के जेल से बचने के लिए मोरबी सेशन कोर्ट में डिस्चार्ज याचिका दायर की थी। लेकिन अदालत ने सरकारी वकील की दलीलों को स्वीकार करते हुए सभी आरोपियों की डिस्चार्ज याचिकाओं को खारिज कर दिया। आरोपियों के खिलाफ मुकदमा शुरू किया जाएगा
सरकारी वकील विजय जानी ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए बताया कि मोरबी सस्पेंशन ब्रिज मामले में जयसुख पटेल समेत सभी आरोपियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। जिसमें आरोपियों ने धारा 304 और 308 से मुक्त करने के लिए याचिका दायकर की थी। धारा 304 में आजीवन कारावास और धारा 308 में 10 वर्ष कारावास का प्रावधान है। याचिका में शेष धाराओं का कोई उल्लेख नहीं है। लेकिन इन बाकी धाराओं के तहत सिर्फ 3 से 6 महीने की सजा का प्रावधान है और इतनी सजा आरोपी पहले ही काट चुके हैं। इसलिए, सरकारी वकील के तौर पर हमने अदालत में कहा कि इस घटना में 135 लोगों की मौत हुई है और एसआईटी की रिपोर्ट भी रिकॉर्ड में है। उन सभी को तो छोड़िए, इस मामले में एक भी आरोपी को बरी नहीं किया जा सकता। अदालत ने इस तर्क को बरकरार रखा है। ओरेवा ग्रुप इस जिम्मेदारी से बच नहीं सकता। क्योंकि ओरेवा ग्रुप द्वारा जिस पुल की मरम्मत की गई थी, उसका काम देवप्रकाश सॉल्यूशंस को दिया गया था, जो कि कोई मान्यता प्राप्त संगठन नहीं है और उसे इस तरह के काम का अनुभव भी नहीं था। इसलिए, अदालत ने आरोपियों द्वारा दायर सभी पांच याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इसलिए अब आरोपी पर आरोप लगाए जाएंगे और मुकदमा चलाया जाएगा। फिलहाल हैंगिंग ब्रिज मामले में जमानत पर ये 10 आरोपी
इस मामले में ओरेवा ग्रुप के जयसुख पटेल, ओरेवा के मैनेजर दीपक नवीनचंद्र पारेख और दिनेश महसुखरे दवे के साथ ही मेंटेनेंस एजेंसी के देवांग प्रकाशभाई परमार और प्रकाश लालजीभाई परमार के अलावा मनसुखभाई वलजीभाई टोपिया, मदेवभाई लाखाभाई सोलंकी, अल्पेशभाई गलाभाई गोहिल, दिलीपभाई गलाभाई गोहिल और मुकेशभाई दलसिंगभाई चौहान जमानत पर हैं। 30 अक्टूबर, 2022 को हुआ था हादसा
उल्लेखनीय है कि 30 अक्टूबर 2022 को मोरबी में एक सस्पेंशन ब्रिज के ढहने से 135 लोगों की मौत हो गई थी। दुर्घटना के दिन 3,165 लोगों को टिकट जारी किए गए थे। हालांकि, इस बारे में कोई स्पष्ट नियम नहीं थे कि एक बार में कितने लोगों को पुल पर जाने की अनुमति दी जा सकती है या कितने टिकट जारी किए जा सकते हैं। पीड़ित एसोसिएशन ने भी नगर पालिका और कलेक्टर को आरोपी बनाने के लिए याचिका दायर की है। ब्रिज पर क्षमता से ज्यादा लोग, यही हादसे की वजह
ब्रिज की क्षमता करीब 100 लोगों की थी, लेकिन रविवार को छुट्टी होने के चलते इस पर करीब 500 लोग जमा थे। यही हादसे की वजह बना। भास्कर को मोरबी के भाजपा सांसद मोहन कुंडारिया ने बताया कि ब्रिज टूटने से जहां लोग गिरे, वहां 15 फीट तक पानी था। कुछ लोग तैरकर बाहर निकल आए, लेकिन कई लोग झूले पर अटके रहे। 140 साल से भी ज्यादा पुराना था ब्रिज
करीब 765 फीट लंबा मोरबी का यह सस्पेंशन ब्रिज 140 साल से भी ज्यादा पुराना था। इस ब्रिज का उद्घाटन 20 फरवरी 1879 को मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था। यह उस समय लगभग 3.5 लाख की लागत से बनकर तैयार हुआ था। उस समय इस पुल को बनाने का पूरा सामान इंग्लैंड से ही मंगाया गया था। इसके बाद इस पुल का कई बार रेनोवेशन किया जा चुका है। हाल ही में दिवाली से पहले इसके मरम्मत का काम 2 करोड़ की लागत से किया गया था।
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