समस्तीपुर में जमुवारी और बाया नदी सूखी:किसानों को सिंचाई में हो रही परेशानी, पानी का स्तर गिरा नीचे
सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण समस्तीपुर से गुजरने वाली जमुवारी और बाया नदी में पानी नहीं है। दोनों नदियां सूख चुकी है। जगह-जगह पर गाध भरा हुआ है। दोनों नदियों में पानी नहीं रहने के कारण नदी के पास के सरायरंजन व मोरवा प्रखंड के गांव में भूगर्भीय जलस्तर भी काफी नीचे चला गया है, जिससे आसपास के चापाकल से पानी नहीं आ रहा है। किसानों का मानना है कि सरकार की इच्छा शक्ति के अभाव के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। इस इलाके में लोगों की खेती महंगी हो गई है। सरायरंजन के किसान अबोध कुमार मालाकार बताते हैं कि लंबे समय से मोरवा और सरायरंजन के बीचो-बीच से गुजरने वाली जमुवारी नदी की सफाई नहीं हुई। नदी में गाध भरा हुआ है। नदी कचरा से भर चुका है। सरकारी इच्छा शक्ति के अभाव में यह स्थिति उत्पन्न हुई है। जिसे यहां के किसान खेती नहीं कर पा रहे हैं। वाटर लेवल भी गिर चुका है। इस नदी का उद्गम स्थल ढोली के पास है, वहां पर पानी के अवरुद्ध को समाप्त करना होगा, तब जाकर इस नदी में पानी आएगी। नून नदी भी सूखी पैक्स अध्यक्ष किसान कुणाल कुमार बताते हैं कि इस इलाके के माननीय जल संसाधन मंत्री हैं, लेकिन इस इलाके की जमुवारी के अलावा बाया, नून नदी सूख चुकी है। सरकार को चाहिए कि नदी के गर्भ में जितने भी लोग बसे हुए हैं उन्हें उचित मुआवजा देकर नदी की पेटी को साफ कराया जाना चाहिए, ताकि नदी में पानी का बहाव सही तरीके से हो सके । तब जाकर यहां के किसानों को फायदा मिलेगा। स्थिति सरकारी उपेक्षा के कारण हुई है। नदी सूखने से किसानों को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। महापर्व छठ मनाने में होती परेशानी मोरवा बाजार निवासी कामेश्वर महतो बताते हैं कि नदी पूरी तरह से सूख चुकी है। मोरवा खुदेश्वर स्थान मंदिर के पास नदी में घाट का भी निर्माण नहीं कराया गया। नदी में पानी नहीं रहने के कारण यहां के लोग महापर्व छठ भी मनाने के लिए दूसरे स्थान पर जाते हैं। सरकार जल्द से जल्द इस पर ध्यान दें। जमुवारी नदी का पूरा रिवर वेड सूखा पड़ा है। जगह-जगह पर लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है। मकान का निर्माण हो चुका है। मुर्गी फॉर्म तक खोल दिए गए हैं। ऐसी स्थिति में नदी से किचर की सफाई बहुत बड़ी चुनौती साबित होगी। सरकार सिंचाई के केंद्र बिंदु में रखकर नदी के गधों की सफाई करें, तो किसानों को फायदा मिलेगा। किसानों ने बताया कि सिर्फ वैसे ही किचर की सफाई से काम नहीं चलेगा। सरकार की मंशा साफ होनी चाहिए और किचर की सफाई के पीछे किसानों के खेतों की सिंचाई को ध्यान में रखकर काम किया जाए, तो किसान इस इलाके में अपने खेतों का पटवन कर सकेंगे। अगर ऐसा संभव होता है तो 2 लाख से अधिक किसानों की दशा और दिशा दोनों बदल जाएगी। 320 करोड़ की योजना की स्वीकृति डीएम जमुवारी रोशन कुशवाहा ने कहा कि बाया नदी के गधों की सफाई के लिए हाल ही में सरकार ने 320 करोड़ की योजना की स्वीकृति प्रदान की है। इस दिशा में विभागीय स्तर पर योजना तैयार की जा रही है। जल्द ही नदी के किचर की सफाई शुरू की जाएगी।
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