छगन भुजबल महाराष्ट्र कैबिनेट में मंत्री बने:बोले- अंत भला तो सब भला, जो जिम्मेदारी मिलेगी निभाऊंगा; मंत्रीपद न मिलने से नाराज थे
नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता छगन भुजबल ने मंगलवार सुबह महाराष्ट्र कैबिनेट में मंत्री पद की शपथ ली। मंत्री बनने के बाद उन्होंने कहा- 'कहते हैं न- अंत भला तो सब भला। मैंने अब तक हर जिम्मेदारी अच्छे से निभाई है। अब भी जो जिम्मेदारी मिलेगी, उसे निभाऊंगा।' दरअसल, पिछले साल नवंबर में महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन की सरकार बनी थी। हालांकि, 77 साल के छगन को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया था, जिससे वह नाराज चल रहे थे। भुजबल ने महाराष्ट्र कैबिनेट में NCP के दिग्गज नेता धनंजय मुंडे की जगह ली है।। मुंडे ने मार्च में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण मंत्री पद से इस्तीफा दिया था। भुजबल को यही खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण मंत्रालय मिल सकता है, क्योंकि इसके पहले वह दो बार यह मंत्रालय संभाल चुके हैं। दिसंबर में मंत्री पद नहीं मिलने पर कहा था- क्या मैं खिलौना हूं
महाराष्ट्र के नासिक जिले के येवला से विधायक भुजबल का कई दशकों लंबा राजनीतिक करियर रहा है। वह राज्य में OBC समुदाय के एक बड़े नेता हैं। भुजबल इससे पहले अलग-अलग सरकारों में उपमुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री के पद पर काम कर चुके हैं। पिछले साल दिसंबर में मुख्यमंत्री फडणवीस के मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान उन्हें मंत्री पद नहीं मिला था, जिससे वह नाराज थे। उन्होंने 17 दिसंबर को नागपुर में एक एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया था कि मुख्यमंत्री फडणवीस उन्हें मंत्री बनाने के पक्ष में थे, लेकिन NCP अध्यक्ष अजित पवार ने इस पर कोई फैसला नहीं किया। भुजबल ने कहा, 'मैंने नासिक से लोकसभा चुनाव लड़ने का सुझाव स्वीकार किया था। जब मैं राज्यसभा में जाना चाहता था, तो मुझे विधानसभा चुनाव लड़वाया। अब 8 दिन पहले मुझे राज्यसभा सीट की पेशकश की गई, जिसे मैंने इनकार कर दिया।' 'उन्होंने तब मेरी बात नहीं सुनी, अब वे मुझे राज्यसभा सीट दे रहे हैं। अगर मैं इस्तीफा दे दूंगा तो मेरे निर्वाचन क्षेत्र के लोग क्या सोचेंगे? क्या मैं आपके हाथों का खिलौना हूं? जब भी आप मुझसे कहेंगे मैं खड़ा हो जाऊंगा, जब भी आप मुझसे कहेंगे मैं बैठ जाऊंगा और चुनाव लड़ूंगा?' भुजबल ने कहा था- मराठा आरक्षण का विरोध किया, इसलिए मंत्री नहीं बनाया
भुजबल ने दावा किया था कि नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय के आरक्षण की मांग करने वाले मनोज जरांगे का विरोध करने के कारण उन्हें कैबिनेट से बाहर रखा गया। भुजबल ने कहा कि कैबिनेट विस्तार के बाद से उन्होंने NCP प्रमुख अजित पवार से बात नहीं की है। NCP नेता ने आगे कहा, 'लोकतंत्र में हर किसी को अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है। मैं पता लगाने की कोशिश कर रहा हूं कि मुझे मंत्री पद के लिए किसने अस्वीकार किया। मंत्री पद आते-जाते रहते हैं। मगर मुझे खत्म नहीं किया जा सकता।' 'हर पार्टी में निर्णय पार्टी प्रमुख लेते हैं। जैसे देवेंद्र फडणवीस BJP के लिए और एकनाथ शिंदे शिवसेना के लिए, वैसे ही अजित पवार NCP के लिए निर्णय लेते हैं। CM फडणवीस ने जोर दिया था कि मुझे मंत्रिमंडल में शामिल किया जाना चाहिए। मैंने खुद इसकी पुष्टि की है।' 15 दिसंबर को हुआ था महाराष्ट्र सरकार का कैबिनेट विस्तार महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव रिजल्ट के 23वें दिन 15 दिसंबर को नागपुर में मंत्रिमंडल विस्तार हुआ था। फडणवीस सरकार में 33 कैबिनेट और 6 राज्य मंत्रियों ने शपथ ली थी। CM और 2 डिप्टी CM समेत यह संख्या 42 हो गई थी। कैबिनेट में कुल 43 मंत्री शपथ ले सकते हैं। एक सीट खाली रखी गई। पूरी खबर यहां पढ़ें... ...................................... महाराष्ट्र की यह खबर भी पढ़ें... CJI को महाराष्ट्र के चीफ सेक्रेटरी-DGP ने रिसीव नहीं किया, गवई बोले- बड़े अफसर प्रोटोकॉल का पालन नहीं करते चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बनने के बाद जस्टिस बीआर गवई 18 मई को पहली बार मुंबई पहुंचे। हालांकि, उन्हें रिसीव करने चीफ सेक्रेटरी, DGP और मुंबई के पुलिस कमिश्नर नहीं पहुंचे। इस पर उन्होंने महाराष्ट्र-गोवा बार काउंसिल के कार्यक्रम में निराशा जताई। CJI गवई ने कहा, 'मैं ऐसे छोटे-मोटे मुद्दों पर बात नहीं करना चाहता, लेकिन मैं इस बात से निराश हूं कि महाराष्ट्र के बड़े अफसर प्रोटोकॉल का पालन नहीं करते।' पूरी खबर पढ़ें...
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