पीयू एनआरआई कोटे में दाखिला मामले में छात्र को राहत:हाईकोर्ट ने दाखिला नियमित किया, इंस्टीट्यूशनल गड़बड़ी के कारण छात्र को नहीं पहुंचना चाहिए नुकसान

May 15, 2025 - 12:30
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पीयू एनआरआई कोटे में दाखिला मामले में छात्र को राहत:हाईकोर्ट ने दाखिला नियमित किया, इंस्टीट्यूशनल गड़बड़ी के कारण छात्र को नहीं पहुंचना चाहिए नुकसान
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब यूनिवर्सिटी (PU) के एनआरआई कोटे में दाखिला मांग रहे एक छात्र के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उसका फाइव ईयर लॉ कोर्स में दाखिला नियमित कर दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि अगर किसी कॉलेज या यूनिवर्सिटी में अंदरूनी गड़बड़ी हो, तो उसकी सजा किसी भी ईमानदार और योग्य छात्र को नहीं दी जा सकती। यह मामला छात्र अंशिव बेरी से जुड़ा है, जिसने एनआरआई कैटेगरी में दाखिले के लिए 1 सितंबर 2022 को जारी सार्वजनिक नोटिस के आधार पर 5 सितंबर 2022 को आवेदन किया था। इस नोटिस में एनआरआई और विदेशी छात्रों के आवेदन की अंतिम तिथि 9 सितंबर 2022 तक बढ़ाई गई थी। इसके बावजूद यूनिवर्सिटी ने उसे "लेट एपलीकेंट" बताकर मेरिट लिस्ट से बाहर कर दिया। पीयू ने कोर्ट में दलील दी कि इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के डीन को अंतिम तिथि बढ़ाने का अधिकार नहीं था। लेकिन चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस सुमीत गोयल की खंडपीठ ने यह तर्क खारिज करते हुए कहा कि अगर यूनिवर्सिटी की आंतरिक प्रशासनिक स्पष्टता नहीं है, तो उसकी जिम्मेदारी छात्र पर नहीं डाली जा सकती। पीयू की गलती का खामियाजा छात्र क्यों भुगते? कोर्ट ने कहा कि एक छात्र, जो किसी आधिकारिक नोटिस पर भरोसा करके आवेदन करता है, उससे यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह अधिकारी की शक्तियों की वैधता की जांच करे। अगर कोई उच्च पदस्थ अधिकारी कोई सर्कुलर या सूचना जारी करता है, तो आम नागरिक और छात्र उसे विश्वसनीय मानकर ही प्रतिक्रिया देंगे। जहां संस्थान की आंतरिक व्यवस्था बिगड़ी हो और एक विभाग को दूसरे की जानकारी न हो, वहां 'प्रकट अधिकार सिद्धांत' (Doctrine of Apparent Authority) लागू होगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यूनिवर्सिटी अब अपने ही नोटिस और कार्रवाई से पल्ला नहीं झाड़ सकती, क्योंकि इससे छात्रों को अनुचित नुकसान और मानसिक प्रताड़ना होगी, जो कि प्राकृतिक न्याय, प्रशासनिक जवाबदेही और वैध अपेक्षा के सिद्धांतों के खिलाफ है। छात्र की ओर से वरिष्ठ वकील गुरमिंदर सिंह ने दलील दी कि अंशिव बेरी ने न्यायोचित समय सीमा के भीतर आवेदन किया, और उसकी पात्रता पर कोई विवाद नहीं है। फिर भी उसे मनमाने ढंग से लेट एपलीकेंट करार देकर उसका हक छीना गया। उन्होंने 28 सितंबर 2022 को जारी पीयू की एनआरआई श्रेणी की प्रोविजनल मेरिट लिस्ट को रद्द करने की मांग की थी।

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