झारखंड में 7 जून तक मानसून की एंट्री:आज भी तेज हवा के साथ बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी, रांची में 27 मई तक हर दिन बारिश

May 22, 2025 - 12:00
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झारखंड में 7 जून तक मानसून की एंट्री:आज भी तेज हवा के साथ बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी, रांची में 27 मई तक हर दिन बारिश
झारखंड में हो रहे बेमौसम बारिश से लोगों का राहत तो मिल रही है, लेकिन जानमाल का भी नुकसान हो रहा है। बुधवार को हुए बारिश और इस दौरान गिरे आकाशीय बिजली ने दो लोगों की जान ले ली। मौसम विभाग ने आज राज्य के 8 जिले में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। वहीं राजधानी रांची में दोपहर बाद मौसम बदलने की संभावना जताई है। मौसम विभाग ने आज देवघर, गिरिडीह, जामताड़ा, धनबाद, हजारीबाग, कोडरमा और रांची के कुछ हिस्सों में मध्यम से भारी बारिश की संभावना जताई है। मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक अभिषेक आनंद के अनुसार आज कई इलाकों में आंधी के साथ वज्रपात और बारिश होने की संभावना है। 7 जून तक मानसून की एंट्री संभव वज्रपात की घटनाओं के बीच मौसम विभाग ने मानसून के प्रवेश को लेकर बड़ी घोषणा की है। मौसम वैज्ञानिक अभिषेक आनंद ने बताया कि इस बार झारखंड में मानसून अच्छा रहेगा। केरल में 25 से 27 मई के बीच मानसून प्रवेश करेगा। झारखंड में 7 जून को आने की संभावना है। एक सप्ताह के अंदर पूरे राज्य में मानसून छा जाएगा। वहीं प्रदेश में बारिश की संभावनाओं को लेकर बताया कि आज तो बारिश होने के आसार है ही। 23 मई को 40 से 50 किमी की रफ्तार से तेज हवा चलने और वज्रपात की संभावना है। 25 मई को मध्यम दर्जे की बारिश के साथ वज्रपात हो सकती है। 26-27 मई को राज्य के कुछ स्थानों पर बारिश की संभावना है। रांची में 27 मई तक हर दिन बारिश हो सकती है। पिछले 24 घंटे के दौरान सबसे अधिक तापमान 40.3 डिग्री डालटनगंज का दर्ज किया गया। 05 दिनों में वज्रपात से गई 21 की जान इधर, लगातार हो रही बारिश और इस दौरान हुए वज्रपात की वजह से पिछले पांच दिनों में रांची सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में वज्रपात से लगभग 21 लोगों की जान चली गई। वहीं लगभग 31 लोग जख्मी हो गए। मरने वालों की संख्या इससे भी अधिक है। क्योंकि, सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के कई मामले सामने नहीं आते। इससे बचने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। मौसम विभाग की चेतावनी को नजरअंदाज न करें। बारिश के समय खुले स्थान पर जाने से बचें। ऊंचे या नुकीले स्थानों से दूर रहें, बारिश से बचने के लिए पेड़ के नीचे खड़ा न हों। बारिश और वज्रपात के समय बिजली के खंभे, पानी, ​बिजली तार या किसी धातु से बनी वस्तुओं से दूर रहें। मौसम वैज्ञानिक अभिषेक आनंद की मानें तो राज्य में एक साल में 350 से अधिक लोगों की वज्रपात से मौत हो जाती है। वज्रपात से मौत पर मुआवजा के लिए आधे लोग भी नहीं पहुंचते आसमानी बिजली को प्राकृतिक आपदा की श्रेणी में रखा है। इससे होने वाली मौत पर मृतक के परिजनों को चार लाख रुपए मुआवजा दिए जाते हैं। घायल को भी इलाज के लिए पैसे दिए जाते हैं। इसके अलावा घर या मवेशी का नुकसान होता है तो उसके लिए भी मुआवजा तय है। लेकिन झारखंड में वज्रपात की घटना में जान-माल गंवाने वाले सभी परिवार मुआवजा के लिए आवेदन तक नहीं कर पाते। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को इसकी जानकारी भी नहीं है। मौत के बाद स्थानीय नेता या जागरूक लोगों की पहल पर कुछ लोग ही आवेदन कर पाते हैं।

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